क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे देश के किस संस्थान ने कृषि और ग्रामीण विकास को इतना प्रोत्साहन दिया है? इसका जवाब है – NABARD! भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। लेकिन, इन क्षेत्रों में विकास की गति धीमी रही है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया और NABARD (नाबार्ड) का गठन किया।
आज के इस लेख में आपको हम NABARD के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे जिसमे शामिल होगा NABARD क्या है ? और उसके कार्य और साथ ही नाबार्ड फुल फॉर्म और यह किस तरह से भारत के गांवों का कायाकल्प कर रहा है। चलिए शुरू करते है और सबसे पहले जानते है NABARD क्या है ?-
NABARD क्या है ?
NABARD, भारत की एक प्रमुख वित्तीय संस्था है जिसकी स्थापना 1982 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारना है। नाबार्ड की जिम्मेदारी कृषि और ग्रामीण विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, ग्रामीण बैंकों और सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करना, और ग्रामीण विकास के लिए नीतियां और योजनाएं तैयार करना है। यह संस्था विशेष रूप से ग्रामीण बुनियादी ढांचे, कृषि उत्पादकता, और ग्रामीण उद्यमिता को समर्थन प्रदान करती है।
नाबार्ड के द्वारा किए गए कार्यों में कृषि ऋण, ग्रामीण बैंकों की निगरानी, और ग्रामीण विकास परियोजनाओं के लिए धन की व्यवस्था शामिल है। इसके अतिरिक्त, NABARD (नाबार्ड) किसानों को आधुनिक तकनीक और प्रबंधन के प्रति जागरूक करता है और ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करता है। इस प्रकार, NABARD भारतीय ग्रामीण विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अक्ष है जो आर्थिक समृद्धि और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में काम करता है।
नाबार्ड फुल फॉर्म
नाबार्ड का पूरा नाम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक है। अंग्रेजी में इसका फुल फॉर्म होता है National Bank for Agriculture and Rural Development। यह भारत सरकार द्वारा स्थापित एक विकासात्मक वित्तीय संस्थान है। नाबार्ड का मुख्य उद्देश्य देश के कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देना है। यह संस्था किसानों, ग्रामीण उद्यमियों और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
नाबार्ड के माध्यम से किसानों को कृषि उपकरण, बीज, खाद आदि खरीदने के लिए ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण, सिंचाई सुविधाओं का विकास, ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने जैसे विभिन्न विकास कार्यों के लिए भी नाबार्ड वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
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NABARD (नाबार्ड) का इतिहास
नाबार्ड की स्थापना 12 जुलाई 1982 को हुई थी, और इसका गठन भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम, ”National Bank for Agriculture and Rural Development Act (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम), 1981‘ के तहत किया गया था। यह स्थापना रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के कृषि ऋण विभाग (Agricultural Credit Department) और ग्रामीण योजना और ऋण प्रकोष्ठ (Rural Planning and Credit Cell) को मिलाकर की गईथी । नाबार्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए वित्तीय और विकासात्मक सहायता प्रदान करना था।
नाबार्ड के मुख्य कार्य क्या है?
वैसे तो NABARD का मुख्या कार्य ग्रामीण विकास लाना है और साथ ही कृषि और ग्रामीण विकास से संबंधित गतिविधियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। लेकिन इसके अलावा नाबार्ड के कुछ और मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं जो कुछ इस प्रकार है –
1. ग्रामीण विकास और कृषि वित्त पोषण:
- लघु अवधि ऋण: किसानों को लघु अवधि के ऋण प्रदान करना ताकि वे खेती के लिए आवश्यक सामग्री जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि खरीद सकें।
- दीर्घकालीन ऋण: कृषि से संबंधित दीर्घकालीन परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण जैसे कि भूमि सुधार, सिंचाई परियोजनाएं, वृक्षारोपण और वनीकरण आदि।
- स्व सहायता समूह (SHG): महिलाओं और कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए स्व सहायता समूहों के गठन और वित्त पोषण में मदद करना।
2. ग्रामीण अवसंरचना विकास:
- ग्रामीण सड़कों, पुलों और सिंचाई परियोजनाओं के विकास के लिए वित्त पोषण।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, पानी और संचार सुविधाओं के विकास के लिए सहायता।
- वित्तीय समावेशन के लिए बैंक शाखाओं और एटीएम का विस्तार।
3. ऋण वितरण निगरानी:
- सहकारी बैंकों और ग्रामीण विकास बैंकों के कार्यों की निगरानी और मार्गदर्शन।
- ऋण वितरण की गुणवत्ता और प्रभावशीलता की समीक्षा।
- वित्तीय संस्थाओं के ऋण वितरण की नियमित समीक्षा और निरीक्षण।
4. विकासात्मक और प्रशिक्षण कार्यक्रम:
- किसानों और ग्रामीण लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना ताकि वे आधुनिक कृषि तकनीकों और व्यवसायिक कौशल में निपुण हो सकें।
- संवर्धन और क्षमता निर्माण कार्यक्रम जैसे की कृषि व्यापार और कृषि प्रसंस्करण।
5. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता:
- पर्यावरणीय स्थिरता को प्रोत्साहित करने के लिए परियोजनाओं का वित्त पोषण।
- जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
6. शोध और विकास:
- कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में शोध कार्यों को प्रोत्साहन।
- नवीनतम कृषि तकनीकों और बाजारों के विकास के लिए शोध।
7. अन्य विकासात्मक गतिविधियाँ:
- कृषि उत्पादों के विपणन और प्रसंस्करण में सहायता।
- ग्रामीण उद्योगों और हस्तशिल्प के विकास के लिए वित्त पोषण।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म वित्त और उद्यमिता को प्रोत्साहन।
नाबार्ड का प्रभाव
वैसे तो NABARD (नाबार्ड) का प्रभाव विभिन्न स्तरों पर देखा जा सकता है लेकिन आपके लिए हमने कुछ मुख्य बिंदु प्रस्तुत किये है जो प्रकार है –
कृषि क्षेत्र पर प्रभाव
- उत्पादकता में वृद्धि: नाबार्ड द्वारा प्रदान किए गए ऋणों और तकनीकी सहायता से किसानों ने आधुनिक कृषि उपकरण और बेहतर बीजों का उपयोग करना शुरू किया है, जिससे कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- विविधता: किसानों को विभिन्न फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिससे कृषि में विविधता आई है।
- सिंचाई सुविधाओं का विकास: नाबार्ड ने सिंचाई सुविधाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का असर कम हुआ है।
ग्रामीण विकास पर प्रभाव
- ग्रामीण उद्योगों का विकास: नाबार्ड ने ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।
- बुनियादी ढांचे का विकास: नाबार्ड ने सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास में भी योगदान दिया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है।
- सामाजिक विकास: नाबार्ड ने शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भी निवेश किया है, जिससे ग्रामीण लोगों का जीवन स्तर बेहतर हुआ है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- जीडीपी में योगदान: कृषि क्षेत्र में वृद्धि के कारण नाबार्ड ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- गरीबी में कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ने से गरीबी में कमी आई है।
- खाद्य सुरक्षा: कृषि उत्पादन में वृद्धि से देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
NABARD (नाबार्ड) की जिम्मेदारियां
नाबार्ड की कुछ प्रमुख जिम्मेदारियां निम्नलिखित हैं जो कुछ इस प्रकार है –
- पुनर्वित्त (Refinancing): नाबार्ड अन्य बैंकों को पुनर्वित्त प्रदान करता है ताकि वे कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण दे सकें। यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त ऋण उपलब्ध हो।
- विकास कार्यक्रम (Development Programme): नाबार्ड विभिन्न विकास कार्यक्रमों को लागू करता है जैसे कि सिंचाई, कृषि विपणन, ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देना आदि।
- बैंकिंग पर्यवेक्षण (Banking Supervision): नाबार्ड क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों का पर्यवेक्षण करता है।
- शोध और विकास (Research and Development): नाबार्ड कृषि और ग्रामीण विकास से संबंधित शोध और विकास गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है।
- योजना और विकास (Planning and Development): नाबार्ड ग्रामीण विकास के लिए योजनाएं बनाता है और उनका कार्यान्वयन करता है।
- ऋण और वित्तपोषण (Loans and Financing): नाबार्ड सीधे किसानों, ग्रामीण उद्यमियों और ग्रामीण विकास परियोजनाओं को ऋण और वित्तपोषण प्रदान करता है।
- जलग्रहण विकास (Watershed Development): नाबार्ड जलग्रहण विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है, जो मिट्टी के कटाव को रोकने, जल संरक्षण और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद करते हैं।
- आदिवासी विकास (Tribal Development): नाबार्ड आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाता है।
निष्कर्ष
हमे उम्मीद है आज का यह लेख “NABARD Full Form: यहाँ जाने क्या है नाबार्ड और क्या है इसके कार्य ||” जरूर पसंद आया होगा और यह भी उम्मीद है की आपको सम्पूर्ण जानकारी हम दे पाए होंगे। ऐसे ही आगे और विषयो के अपडेट के लिए हमारे साथ जुड़े रहे। धन्यवाद