भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है Khajuraho Temples। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित Khajuraho Temples (खजुराहो मंदिरों) का समूह अपनी बेमिसाल शिल्पकला, मूर्तिकला और इतिहास के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन मंदिरों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। खजुराहो के ये मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि यह कला, संस्कृति और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अमूल्य निधि हैं।
इस ब्लॉग में हम Khajuraho Temples History , इनके निर्माण, वास्तुकला और इनसे जुड़े रोचक तथ्यों की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। तो आइए, शुरू करते है और और जानते है इस सांस्कृतिक धरोहर की गहराई के बारे में ।
Khajuraho Temples
भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में खजुराहो मंदिर एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित यह मंदिर समूह अपने उत्कृष्ट वास्तुशिल्प और मूर्तिकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। ये मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म के गहरे आयामों को दर्शाते हैं, जहां कला, धर्म और इतिहास का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
Khajuraho Temples की वास्तुकला उनकी सबसे बड़ी खासियत है। इन मंदिरों में हिंदू और जैन धर्म की परंपराओं को मूर्तियों के माध्यम से दर्शाया गया है। यहाँ की मूर्तियाँ इतनी जीवंत और सूक्ष्म हैं कि यह देखने वाले को चकित कर देती हैं। मंदिरों की दीवारों पर देवी-देवताओं, नृत्यांगनाओं, पशु-पक्षियों और दैनिक जीवन की झलकियाँ देखने को मिलती हैं।
Khajuraho Temples की सबसे अनोखी बात इनकी कामुक मूर्तियाँ हैं, जो प्रेम, भावनाओं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को बेहद कलात्मक रूप से प्रदर्शित करती हैं। इन्हें देखने से यह समझ आता है कि भारतीय समाज उस समय कितना उन्मुक्त और विचारशील था।
खजुराहो मंदिरों की विशेषताएं/Khajuraho Temples Features
- शिल्पकला: खजुराहो के मंदिरों की शिल्पकला अत्यंत जटिल और विस्तृत है। इन मंदिरों की दीवारों और छतों पर देवी-देवताओं, नर्तकियों, संगीतकारों और दैनिक जीवन की अन्य दृश्यों को अंकित किया गया है।
- कामुक मूर्तियाँ: खजुराहो के मंदिरों की सबसे प्रसिद्ध विशेषता इनकी कामुक मूर्तियाँ हैं। इन मूर्तियों को लेकर विभिन्न तरह के विचार प्रकट किए जाते हैं। कुछ लोग इन्हें धार्मिक प्रतीक मानते हैं तो कुछ लोग इन्हें उस समय के समाज के यौन जीवन का प्रतिनिधित्व मानते हैं।
- वास्तुकला: खजुराहो के मंदिर नागर शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन मंदिरों के निर्माण में पत्थर का उपयोग किया गया है और इनकी दीवारें और छतें अत्यंत मजबूत हैं।
चंदेल वंश और खजुराहो
चंदेल वंश के राजाओं ने बुंदेलखंड क्षेत्र में शासन किया था। उन्होंने इस क्षेत्र को कला और संस्कृति का केंद्र बनाया। खजुराहो में उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान कई भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया। इन मंदिरों का निर्माण मुख्यतः हिंदू धर्म और जैन धर्म से संबंधित देवताओं को समर्पित था।
खजुराहो के मुख्य मंदिर
Khajuraho Temples (खजुराहो के मंदिरों) का समूह भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहाँ हिंदू, जैन और वैष्णव मंदिर शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं:
. कंदरिया महादेव मंदिर (Kandariya Mahadev Temple)
- समर्पित: भगवान शिव
- विशेषताएं:
- यह खजुराहो का सबसे बड़ा और सबसे भव्य मंदिर है।
- इसकी ऊँचाई लगभग 31 मीटर (102 फीट) है।
- इसमें 800 से अधिक मूर्तियां हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं।
- शिवलिंग गर्भगृह में स्थित है।
- मंदिर की बाहरी दीवारों पर संगीत, नृत्य और प्रेम की अद्वितीय मूर्तियां हैं।
- वास्तुकला शैली: नागर शैली
2. लक्ष्मण मंदिर (Lakshmana Temple)
- समर्पित: भगवान विष्णु
- विशेषताएं:
- यह खजुराहो के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है।
- मंदिर की संरचना पंचायतन शैली में है, जिसमें मुख्य मंदिर के चारों ओर चार छोटे मंदिर स्थित हैं।
- दीवारों पर देवी-देवताओं, संगीतज्ञों और प्रेम के विभिन्न रूपों की मूर्तियां हैं।
- गर्भगृह में भगवान विष्णु की त्रिविक्रम रूप में मूर्ति स्थित है।
- अन्य विशेषताएं:
- दीवारों पर रामायण और महाभारत के दृश्य उकेरे गए हैं।
3. चित्रगुप्त मंदिर (Chitragupta Temple)
- समर्पित: सूर्य देव
- विशेषताएं:
- गर्भगृह में सूर्य देव की एक बड़ी मूर्ति है, जो सात घोड़ों के रथ पर विराजमान है।
- मंदिर के बाहरी हिस्से में शिकार, युद्ध और नृत्य के दृश्य अंकित हैं।
- यह मंदिर खजुराहो का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो सूर्य देव को समर्पित है।
4. पार्श्वनाथ मंदिर (Parshvanatha Temple
- समर्पित: जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ
- विशेषताएं:
- यह खजुराहो का सबसे बड़ा जैन मंदिर है।
- इसमें जैन धर्म की शिक्षाओं और जीवन की पवित्रता को दर्शाने वाली मूर्तियां हैं।
- मंदिर के बाहरी हिस्से में हिंदू देवी-देवताओं की भी मूर्तियां हैं, जो धर्मों के सह-अस्तित्व का प्रतीक हैं।
5. देवी जगदंबी मंदिर (Devi Jagdambi Temple)
- समर्पित: देवी पार्वती (कहीं-कहीं देवी काली मानी जाती हैं)
- विशेषताएं:
- यह मंदिर अपनी सुंदर और कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
- गर्भगृह में देवी जगदंबी की एक मूर्ति स्थित है।
- मंदिर की दीवारों पर शिल्पकला का अनोखा प्रदर्शन है।
6. विश्वनाथ मंदिर (Vishvanatha Temple
- समर्पित: भगवान शिव
- विशेषताएं:
- यह मंदिर अपनी ऊँचाई और उत्कृष्ट शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है।
- शिवलिंग गर्भगृह में स्थित है।
- नंदी मंडप में भगवान नंदी की विशाल मूर्ति है।
- मंदिर के बाहरी हिस्से में नर्तकियों, देवी-देवताओं और कामुक मूर्तियां हैं।
7. वामन मंदिर (Vamana Temple)
- समर्पित: भगवान विष्णु के वामन अवतार
- विशेषताएं:
- यह मंदिर विष्णु के पाँचवें अवतार को समर्पित है।
- बाहरी दीवारों पर अप्सराओं और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
8. अदिनाथ मंदिर (Adinatha Temple)
- समर्पित: जैन तीर्थंकर अदिनाथ
- विशेषताएं:
- यह मंदिर जैन धर्म की धार्मिक धरोहर का प्रतीक है।
- मूर्तियों में ज्यादातर जैन धर्म के प्रतीक और शिक्षाएं उकेरी गई हैं।
9. दूल्हादेव मंदिर (Dulhadev Temple)
- समर्पित: भगवान शिव
- विशेषताएं:
- यह मंदिर खजुराहो के दक्षिणी समूह में स्थित है।
- शिवलिंग गर्भगृह में स्थापित है।
- मूर्तियों में शिव-पार्वती के विवाह के दृश्य दर्शाए गए हैं।
10. जवारी मंदिर (Javari Temple)
- समर्पित: भगवान विष्णु
- विशेषताएं:
- यह मंदिर अपनी सुंदरता और लघु संरचना के लिए प्रसिद्ध है।
- मंदिर के द्वार पर नक्काशीदार सजावट की गई है।
Khajuraho Temples का विशेष महत्व
- कला और शिल्पकला का केंद्र: मंदिरों में अंकित मूर्तियां उस समय की सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं का प्रतिबिंब हैं।
- धार्मिक विविधता:ये मंदिर हिंदू और जैन धर्म के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक हैं।
- पर्यटन स्थल: हर साल लाखों पर्यटक खजुराहो के इन मंदिरों को देखने आते हैं, जिससे यह विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है।
निष्कर्ष
Khajuraho Temples भारतीय इतिहास और वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना हैं। चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित, ये मंदिर हिंदू और जैन धर्म की समृद्धता को दर्शाते हैं। अपनी कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध होने के बावजूद, Khajuraho Temples उस समय के समाज, धर्म और कला का एक व्यापक चित्रण करते हैं। खजुराहो के मंदिर मध्यकालीन भारत के शिल्प और वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण केंद्र थे। ये मंदिर चंदेल राजवंश की शक्ति और समृद्धि के प्रतीक हैं। हिंदू और जैन दोनों धर्मों के मंदिर होने के कारण, खजुराहो धार्मिक सहिष्णुता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।